भारत दक्षिण एशिया का एक उप महाद्वीप और एक अतयंत ही प्राचीन देश है। यहाँ की सभ्यता दुनियाँ की प्रचीनतम सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। भारत को पश्चिमी देश एक सोने की चिड़िया के रूप में देखते थे।जिसके परिणाम स्वरुप समय समय पर बाहरी आक्रमणकारिओं ने भारत की संपत्ति को लूट कर अपने स्वयं के राज्यों के खजानों को भरा और देखते ही देखते भारत देश ईस्ट इंडिया कंपनी का गुलाम हो गया जो कि यहाँ मसालों का व्यापार करने आये थे। ईस्ट इंडिया कंपनी ने धीरे धीरे अपनी कुटिल कूट निति के बल पर यहाँ के राज्यों और राजाओं को आपस में फूट डालकर लड़वाया और धीरे धीरे सम्पूर्ण भारत वर्ष पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया.
वैसे तो भारत की आज़ादी की कहानी अत्यंत ही रोचक और प्रेरणा दायक है लेकिन साथ ही साथ ये अनगिनत शूरवीरों के बलिदान से भरी हुई है। सबसे विस्मर्णीय है 1857 की क्रांति , मंगल पांडेय 1857 की क्रांति में एक महानायक की तरह उभर कर सामने आये थे।
कौन थे मंगल पांडेय?
मंगल पांडेय का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा नामक गांव में एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार में 19 जुलाई 1827 को हुआ था. उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था.मंगल पांडेय 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए. वे ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे. भारत के स्वाधीनता संग्राम में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मंगल पांडेय भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
क्यों हुआ था 1857 का विद्रोह ?
विद्रोह की शुरुआत एक बंदूक के कारतूस की वजह से हुई. तत्कालीन ब्रिटिश इंडिया कंपनी सैनिको के लिए एक योजना के तहत सूअर और गाए की चर्बी से बने हुए कारतूस भारतीय सैनिको को देती थी। बंदूक को भरने के लिए कारतूस को दांतों से काट कर खोलना पड़ता था और उसमे भरे हुए बारुद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस को डालना पड़ता था. कारतूस का बाहरी आवरण में सूअर और गाय की चर्बी होती थी, जो कि उसे पानी की सीलन से बचाती थी. सिपाहियों के बीच यह खबर फ़ैल चुकी थी कि कारतूस में लगी हुई चर्बी सुअर और गाय के मांस से बनायी जाती है. 21 मार्च 1857 को बैरकपुर परेड मैदान कलकत्ता के निकट मंगल पांडेय ने रेजीमेण्ट के अफ़सर लेफ़्टीनेंट बाग पर हमला कर उसे घायल कर दिया था. जनरल ने मंगल पांडेय को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया. सिवाय एक सिपाही शेख पलटु को छोड़ कर सारी रेजीमेंट ने मंगल पांडेय को गिरफ़्तार करने से मना कर दिया. मंगल पाण्डेय ने अपने साथियों को खुलेआम विद्रोह करने के लिए कहा, लेकिन किसी के ना मानने पर उन्होंने अपनी बंदूक से अपनी प्राण लेने का प्रयास किया. परन्तु वे इस प्रयास में केवल घायल हुए. 6 अप्रैल 1557 को मंगल पांडेय का कोर्ट मार्शल कर दिया गया और 8 अप्रैल को फ़ांसी दे दी गयी.
15 अगस्त 1947
ईस्ट इंडिया कंपनी ने हिनड़स्तान पर सौ वर्ष से ज्यादा का शासन किया। ब्रिटिश सरकार के बढ़ते अत्याचार और शोषण की वजह से भारत वासियों में अंदर ही अंदर एक विछोभ की भावना जनम लेने लगी थी और हर एक नौजवान देश को बब्रिटिश हुकूमत से आज़ाद करना चाहता था। इसी क्रम में तमाम क्रांतिकारियों ने अपनी जान की आहुति दे दी जिनमें से चंद्र शेखर आज़ाद , भगत सिंह , सुखदेव ,राजगुरु, अशफाक़उल्ला खान का नाम प्रमुखता से लिए जाता है। और शहीद उधम सिंह को कौन भुला सकता है जिन्होंने जालियां वाला हत्या कांड का बदला इंग्लैंड में जनरल डायर को मार कर लिया था.
द्वतीये विश्व युद्ध और ब्रिटिश इंडिया
1939 से 1945 तक चले दुसरे विश्व युद्ध ने ब्रिटिश सरकार की नींव हिला के रख दी थी। और बची कुची कसर गाँधी जी के अंग्रेज़ों भारत छोड़ो आंदोलन ने जो की 1942 में राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी द्वारा चलाया गया था, ने पूरी कर दी , यहाँ से ब्रिटिश सरकार के पतन की शुरुआत हो चुकी थी और 15 अगस्त 1947 को हिंदुस्तान ब्रिटिश हुकूमत से आज़ाद हो गया। जिसके याद में भारत प्रतिवर्ष 15 अगस्त के दिन अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लालकिले से तिरंगा फहराते हैं और राष्ट्र को सम्बोधित करते हैं। और देश के अलग अलग प्रांतों से आये हुए प्रतिनिधि अपनी अपनी कला और संस्कृति का प्रदशन करते हैं।
No comments:
Post a Comment